कुछ मेरे बारे में
लिखना मेरा शौक ही नहीं मेरा पैशन है। कुछ लोगों को अपने शौक के साथ रहना अच्छा लगता है और कुछ लोगों को अपने पैशन के साथ। बचपन में मैं लिखता था, पन्ने भरता था मगर कोई प्लेटफॉर्म न मिलपाने की वजह से वह लिखा हुआ उन पन्नों पर ही रह गया और वह मेरा पैशन शायद कहीं दब कर रह गया, दिल के किसी कोने में। फिर अचानक एक दिन जालंधर रेलवे प्लेटफॉर्म पर गाड़ी का इंतज़ार करते हुए कुछ ऐसा देखा कि दिल का वह सोया हुआ पैशन फिर जाग उठा और मैंने उस घटना को एक ब्लॉग के रूप में लिखा और बस यहीं से शुरू हुआ फिर से लिखने का पैशन, क्यूंकि अबकी बार उधर एक प्लेटफॉर्म था जिसकी एक घटना ने मुझे प्रेरित किया और दूसरी तरफ था यह इलसट्रोनिक मीडिया का प्लेटफॉर्म जो मेरे जैसे कई लिखने का पैशन रखने वालों को देता है मौका लिखने का, अपने आप को बनाने का, और निखरने का। मेरे दोबारा लिखना शुरू करने के पीछे इन दोनों प्लेटफॉर्म का बड़ा हाथ रहा।
वैसे मैं मार्केटिंग फील्ड से जुड़ा हुआ हूँ, इसीलिए नए नए लोगों से मिलना और नए दोस्त बनाना मुझे अच्छा लगता है। बस यही कहूँगा 'आदमी हूँ आदमी से प्यार करता हूँ '
हमारी रोज़ मर्रा की ज़िन्दग़ी में घट रही घटनाओं को ही एक कहानी / ब्लॉग के रूप में लिखता हूँ, "सफ़र" , "ही इज़ डैड" , "कॉफ़ी हाउस" , "गुनहगार" , "अरमानों की अर्थी" व "उड़ान" कुछ ऐसी ही कृतियां हैं।
खुद की एक छोटी सी कंपनी चलाता हूँ।
बस यही हूँ मैं, मैं समझता हूँ इससे ज़्यादा और कुछ भी नहीं है मेरे बारे में लिखने को।
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