Friday, October 24, 2014

बदलाव ज़रूरी है



पृथ्वी पर औरत, जी हां औरत भगवान की एक बहुत ही महत्वपूर्ण रचना है और इस बात से कोई भी व्यक्ति इनकार नहीं कर सकता। चाहे वह माँ हो,  बहन, पत्नी या प्रेमिका के रूप में हो, एक औरत सभी रूप में पुरुष के जीवन में एक बहुत ही मत्वपूर्ण किरदार अदा करती है। पुरुष अपने आप को बहुत ही भाग्यशाली महसूस  करता है, अगर उसके जीवन में एक बहुत ही अच्छी और समझदार औरत है तो, चाहे वह फिर किसी भी रूप में हो। ऐसे पुरुष जीवन में कुछ भी पा सकते हैं। उस आदमी को अपना जीवन खुशनुमा, घर स्वर्ग से भी सुन्दर लगने लगता है, जहाँ रहना उसे अपने आप में एक सुखद अनुभूति का आभास कराता है। 

ऐसा कहा जाता है कि जोड़ियां स्वर्ग से ही बन कर आती हैं, लेकिन स्वर्ग किसने देखा है ? मगर, अगर आपके जीवन में एक अच्छी सी लाइफ पार्टनर आ जाये तो, धरती पर ही स्वर्ग नज़र आने लगता है, घर भी किसी स्वर्ग से कम नहीं लगता। 


लेकिन, दूसरी तरफ अगर कोई नासमझ और बुरी औरत अगर आपके जीवन में आजाये तो ? ऐसी औरत आपकी ज़िन्दगी को नरक बना सकती है, आपके जीवन को तहस नहस कर सकती है और पुरुष के घर को ऐसा स्थान, जहाँ वह जाना भी पसंद न करें। 


मैं समझता हूँ दुनिया में दो प्रकार की औरतें होती हैं , एक बिल्डर और दूसरी डिस्ट्रोयर । 



पहले प्रकार की औरत,यानि कि बिल्डर,पुरुष की ज़िन्दगी को जीने लायक बना देती है। वह एक सेतु का काम करती हैं, सम्बन्धो को बनाये रखने के लिए और नए संबंधों को जोड़ने के लिए। अगर आप अपने आपको मेन्टली फ्री महसूस करते हैं, क्यूंकि आप यह जानते हैं कि आपके घर का और आपके बच्चों का ध्यान रखने वाली एक सुशील औरत आपके घर में है, तो आप बेहतर तरीके से अपने काम में ध्यान दे पाते हैं , आपकी खुद की कार्य क्षमता बढ़ जाती है, आपकी सृजनमकता बढ़ने से आप के कार्य में आप बेहतर परिणाम दे पाएंगे, उसका असर आपकी आय पर भी पड़ता है। यानि आपकी आय में भी वृद्धि होती है। तभी तो कहते हैं कि "हर कामयाब इंसान के पीछे एक औरत का हाथ होता है।"

लेकिन अगर एक ख़राब औरत, मेरे कहने का मतलब है कि दुसरे प्रकार की औरत यानि डिस्ट्रॉयर, अगर आपकी ज़िंदगी में आजाती है तब ? स्वाभाविक रूप से जो उसकी क्वालिटी है, इस प्रकार की औरतें अपना काम बखूबी पूरी ईमानदारी से करती हैं,और आपकी ज़िन्दगी को तदहस नहस कर के रख देती हैं। इस प्रकार की औरतों को न तो अपने बच्चों की नाही अपने पति की और ना ही किसी की भी ख़ुशी यां दुःख से कोई फर्क पड़ता है और तो और इन्हें अपनी ख़ुशी की भी चिंता नहीं होती, क्यूंकि इनको ख़ुशी ही दूसरों को दुःख पहुंचा कर, घर में झगड़े कर के व रिश्तों में दरारें डाल कर, मिलती है। यह रिश्तों को खत्म कर देती हैं। 


घर के झगड़ों की वजह से आदमी की कार्य क्षमता पर असर पड़ता है, जिसका सीधा असर आदमी की आय पर पड़ता है। इसलिए अगर दुसरे तरीके से कहा जाए तो "एक असफल आदमी के पीछे भी एक औरत का ही हाथ होता है।" 


एक बुरी शादीशुदा ज़िन्दगी की वजह से व्यक्ति जीवन की खुशियां, जीवन की संतुष्टि, व खुद के मान को प्राप्त नहीं कर पाता। 


नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के २०१३ के डेटा के अनुसार पुरुषों की आत्महत्या में  मार्जिनल बढ़ौतरी हुई है, करीब एक १% की  (67.2% - 66.2%,  २०१२ में )  जबकि औरतों की आत्महत्या के आंकड़ों में करीब १% की कमी आई है (32.8% - 33.8%  २०१२ में). पारिवारिक मसलों की वजह से करीब २१०९७ पुरुषों ने आत्महत्या की, जबकि करीब ११,२२९ औरतों ने आत्महत्या की। पुरुषों में आत्महत्या का एक बहुत बड़ा कारन पारिवारिक मसले हैं। यह आंकड़े काफी बड़े हैं। 


भारत में मेन्ज़ राइट्स मूवमेंट से सम्बंधित कई संस्थाएं पुरुषों के अधिकारों के लिए कार्यरत हैं। उनकी  मांग है कि कानून किसी विशेष लिंग के समर्थक नहीं होने चाहिए और कानून निष्पक्ष होने चाहिए व जो कानून पुरुष विरोधी हैं वह रद्द होने चाहिए।  


इंडियन सोशल अवेर्नेस एंड एक्टिविज्म फोरम ( INSAAF)  और कॉन्फिडर रिसर्च ने एक बिल ड्राफ्ट किया है जो कि पुरुषों को, लड़कों को उनकी पत्नी,गर्लफ्रेंड व उनके परिवार से, पारिवारिक झगड़ों से बचाव के लिए है। 


इस विधेयक का नाम है  "सेविंग मैन फ़्रोम इंटिमेट टेरर" ( SMITA ) व ग्रुप की कोशिश है कि इसे संसद में बहस के लिए पेश किया जाए। 



मेरा खुद का यह मानना है कि कोई भी क़ानून कभी भी किसी एक लिंग तरफ़ी नहीं होना चाहिए, इससे इसके दुरूपयोग की संभावनाएं काफी बढ़ जाती हैं। उम्मीद है कि नई सरकार इस ओर ज़रूर ध्यान देगी व कानून में ज़रूरी बदलाव करेगी। 

चाहे पुरुष हो यां स्त्री,किन्ही भी मुश्किलों में अपनी ज़िन्दगी को खत्म कर देना यां कहिये कि आत्महत्या करना, समस्या का हल नहीं है, बल्कि किसी भी तरह के हालात में और ज़्यादा मज़बूती से समस्याओं से जूझना, लड़ना और विजय प्राप्त करना ही ज़िन्दगी है, उससे आप औरों के लिए एक मिसाल पैदा करोगे वार्ना मौत के बाद भी बुज़दिली का टैग आपके नाम के साथ जुड़ा रहेगा। सोच में बदलाव ज़रूरी है, फ़ैसला आप का है, लेकिन इतना याद रखियेगा : 


"ज़िन्दगी ज़िंदा दिली का नाम है, 

मुर्दा दिल क्या खाक जिया करते हैं" 



Romy Kapoor (Kapildev)